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जीविका अवसर प्रोत्साहन योजना(अनुसूचित जाति एवं जनजाति)

                अनुसूचित जाति एवं जनजाति हेतु जीविका अवसर प्रोत्साहन योजना का क्रियान्वयन राज्य सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2004.05 से किया गया हैं । समाज कल्याण विभाग द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के व्यक्तिगत एवं सामूहिक रोजगार के अवसर विकसित करने हेतु इस योजना का शुभारम्भ किया गया है। उत्तराखण्ड बहुउद्देशीय वित्त एवं विकास निगम केन्द्र एवं राज्य सरकार का उपक्रम है। जनपद स्तर पर जिला समाज कल्याण अधिकारी निगम के जिला प्रबन्धक हैं जब कि मुख्यालय स्तर पर निगम के क्रियाक्लाप प्रबन्ध निदेशक द्वारा एक महा प्रबन्धक एवं दो उप महा प्रबन्धकों के सहयोग से सम्पादित किये जाते हैं।

  • योजना का स्वरूपः-

                अनुसूचित जाति एवं जनजाति हेतु जीविका अवसर प्रोत्साहन योजना के निम्नलिखित घटक होंगेः-

1-       सूचना संकलन ,अनुश्रवण एवं मूल्यंाकन

2-       ऋण अनुदान एवं अन्य सुविधाएं

3-       क्षमता विकास एवं कौषल वृद्धि हेतु प्रषिक्षण

 

  • ऋण हेतु पात्रताः- योजनान्तर्गत ऋण स्वीकृत करने हेतु निम्न पात्रताएं निर्धारित की जाती हैंः-

1. आवेदनकर्ता उत्तराखण्ड का निवासी होना चाहिये।

2. आयु 18 वर्ष से 50 वर्ष के मध्य होनी चाहिये।

3. मासिक आय षहरी क्षेत्र में रू 55000 वार्षिक तथा ग्रामीण क्षेत्र में रू 40000 से अधिक नहीं होनी चाहिये। ग्रामीण क्षेत्र के बी0पी0एल0 परिवारों हेतु प्रमाणपत्र खण्ड विकास अधिकारी द्वारा प्रदत्त किया जायेगा।

4. अनुसूचित जाति एवं जनजाति की पुष्टि हेतु सक्षम अधिकारी द्वारा प्रदत्त अनुसूचित जाति एवं जनजाति प्रमाण पत्र।

  • परियोजना लागतः-    इस योजना के अन्तर्गत परियोजना की न्यूनतम लागत रू0 50.000- एवं अधिकतम रू2.00 लाख निर्धारित की जाती है। योजना के अन्तर्गत योजना की लागत का 60 प्रतिषत बैंक ऋण तथा 30 प्रतिषत मार्जिनमनी इस योजना हेतु आवन्टित धनराषि से स्वीकृत किया जायेगा। परियोजना लागत की अवषेष 10 प्रतिषत धनराषि में अधिकतम रू10000 अनुदान तथा लाभार्थी अंष के रूप में सम्मिलित होगी। अनुदान इंबा मदकमक रूप में होगा। जिन लाभार्थियों के पास योजना से संबंधित अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध हैं उन्हें योजना की लागत का 50 प्रतिषत धनराषि उपरोक्त षर्तों के अनुसार कार्यषील पूंजी के लिये ऋण के रूप में 7  प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर पर दी जायेगी।
  • ब्याज की दरः- परियोजना लागत का 30 प्रतिषत मार्जिनमनी ऋण निगम द्वारा 7 प्रतिषत वार्षिक ब्याज की दर से 60 किस्तों में वसूल किया जायेगा जब कि बैंक ऋण में बैंक की प्रचलित ब्याज दरें लागू होंगी।
  • अनुदानः-योजनान्तर्गत लाभार्थियों को अभिप्रेरित करने की दृष्टि से अनुदान की व्यवस्था की जाती है। अनुदान परियोजना लागत के सापेक्ष अधिकतम रू10.000- प्रदान किया जायेगा।
  • लाभार्थी अंषः- परियोजना के प्रति लाभार्थी के सक्रिय सहभागिता को सुनिष्चिितश्करने हेतु परियोजना लागत में लाभार्थी अंष की व्यवस्था निम्नवत की जाती हैः-

                       रू0 1.00 लाख तक की योजनाओं में-                      कुछ नहीं

                       रू1.00 से रू2.00 लाख तक की योजनाओं में-           10 प्रतिषत

  • क्षमता विकास एवं कौषल वृद्धि हेतु प्रषिक्षणः-अनुसूचित जाति एवं जनजाति के जो लाभार्थी इस योजना के अन्तर्गत लाभान्वित किये गये हैं उनको सफल स्वरोजगारी बनाने हेतु प्रषिक्षित किया जाना भी आवष्यक प्रतीत होता है। प्रषिक्षण के दो मुख्य प्रकार हैं। प्रथमतःसूचना सम्बन्धी प्रषिक्षण जिसके अन्तर्गत लाभार्थी को स्वरोजगार के प्रति अभिप्रेरित किया जाना सम्मिलित है और उसका अभिमुखीकरण किया जाना है जिसके अन्तर्गत उद्यमिता विकास भी निहित है। दूसरी श्रेणी के अन्तर्गत ऐसे लाभार्थियों की दक्षता  के स्तर में गुणात्मक परिवर्तन एवं अभिवृद्धि लाना सम्मिलित है  जिससे  उनकी  कार्यक्षमता  एवं  उत्पादकता  में  वृद्धि हो सके। प्रथम श्रेणी में सामान्यतया अल्पकालिक प्रषिक्षण सम्भव होेंगे जिसमें मुख्यतः अभिनव विकास,प्रचार-प्रसार एवं संक्षिप्त गोष्ठियां एवं सेमीनार के माध्यम से लाभार्थियों को जानकारी प्रदान की जायेगी जब कि क्षमता विकास हेतु कौषल आधारित प्रषिक्षण ;ैापसस इंेमक जतंपदपदहद्ध के अन्तर्गत तकनीकी एवं व्यवसायिक प्रषिक्षण भी सम्मिलित किये जायेंगे जो तुलनात्मक दृष्टि से अधिक अवधि के होंगे। ऐसे व्यवसायों का प्रषिक्षण दिया जायेगा जिसमें रोजगार के अच्छे अवसर हों।