- विभागीय सॉफ्टवेयर
- समाज कल्याण विभाग
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय
- दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग
- राष्ट्रीय जनजाति वित्त विकास निगम
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम
- राष्ट्रीय पिछड़ा वित्त विकास निगम
- उत्तराखंड अल्पसंख्यक कल्याण तथा वक्फ वित्त विकास निगम
- राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त विकास निगम
- अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिये स्वतः रोजगार योजना का संचालन
- शहरी क्षेत्र दुकान निर्माण योजना
- जीविका अवसर प्रोत्साहन योजना(अनुसूचित जाति एवं जनजाति)
- शिल्पी ग्राम(अनुसूचित जाति एवं जनजाति)
- स्वच्छकारों एवं उनके आश्रितों की विमुक्ति एवं पुर्नवास की योजना
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम द्वारा संचालित योजनाएं
स्वच्छकारों एवं उनके आश्रितों की विमुक्ति एवं पुर्नवास की योजना
स्वच्छकारों एवं उनके आश्रितों की विमुक्ति एवं पुर्नवास की योजना भारत सरकार द्वारा 22 मार्च 1992 को प्रारम्भ की गई। जिसे वर्ष 2007 से मैनुअवल स्केवैन्जरो के पुर्नवास की स्वरोजगार योजना (ैत्डै) के रूप में संचालित की जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत वह स्वच्छकार जो अपनी रोजी के लिये सर पर मैला ढोने जैसे अमानवीय एवं घृणित पैत्रिक धन्धे में लगे हैं , को इस घृणित पृथा से मुक्त कराकर सम्मानजनक वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। नव गठित उत्तराखण्ड राज्य के गठन के उपरान्त उत्तराखण्ड राज्य में भी ऐसे स्वच्छकारों को चिन्हांकित किया गया जो अभी भी इस कुप्रथा के शिकार हैं। ऐसे स्वच्छकारों की संख्या उत्तराखण्ड में 1972 चिन्हांकित किए गए जिसके सापेक्ष 1850 स्वचछकारों को प्रषिक्षण उपलब्ध कराया गया है तथा 929 स्वच्छकारों को पुनर्वासित करते हुए वैकल्पिक रोजगार प्रदान किया गया। अवषेष 1043 स्वच्छकार ऐसे पाये गये जो विभिन्न कारणों के पात्रता की श्रेणी में न आने के कारण पुनर्वासित नही किया जा सका ।
वर्तमान में भारत सरकार से जारी नये दिषा-निर्देषों के अनुसार वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर इस राज्य में पाये गये 49 नगरीय क्षेत्रों में चिन्हित 5503 भवनों में उपलब्ध शुष्क शौचालयों में संलिप्त स्वच्छकारों के पुनर्वेक्षण का कार्य सम्पन्न किया गया। पुर्नसर्वेक्षणोपरान्त प्रदेष में कुल 131 स्वच्छकार परिवार शुष्क शौचालयों में कार्यरत पाये गये है। सवंेक्षित परिवारों की संकलित सूची भारत सरकार को प्रेषित की जा चुकी है।